अरविंद हर महीने अपनी सैलरी से 5,000 रुपये बचाते हैं। वो सोचते हैं, “अगर मैं यह पैसा निवेश करूं तो भविष्य में अच्छी रकम जमा हो सकती है। लेकिन बाज़ार कभी ऊपर तो कभी नीचे, मुझे समझ नहीं आता कि कब निवेश करना चाहिए।” यही चिंता हर आम भारतीय निवेशक की होती है। इसी समस्या का समाधान है – रुपी-कॉस्ट एवरेजिंग, या जैसा हम हिंदी में कहते हैं – “नियमित मूल्य औसतन निवेश”।
रुपी-कॉस्ट एवरेजिंग क्या है?
सीधे शब्दों में, रुपी-कॉस्ट एवरेजिंग का मतलब है एक निश्चित राशि को नियमित अंतराल पर (जैसे हर महीने) निवेश करना, चाहे बाज़ार ऊपर हो या नीचे। यह बिल्कुल वैसे ही है जैसे आप हर हफ्ते सब्जी खरीदते हैं – कभी सस्ती मिलती है, कभी महंगी, लेकिन साल भर में औसत कीमत पर आप खरीद पाते हैं।
Rupee Cost Averaging Example

एक उदाहरण से समझें
मान लीजिए आप हर महीने 5,000 रुपये HDFC बैंक के शेयर में निवेश करते हैं:
- जनवरी: शेयर की कीमत 1,500 रुपये, आप 3.33 शेयर खरीदते हैं
- फरवरी: कीमत गिरकर 1,300 रुपये, आप 3.84 शेयर खरीदते हैं
- मार्च: कीमत बढ़कर 1,700 रुपये, आप 2.94 शेयर खरीदते हैं
- अप्रैल: कीमत 1,600 रुपये, आप 3.12 शेयर खरीदते हैं
6 महीने बाद, आपने कुल 30,000 रुपये निवेश किए और औसतन 1,450 रुपये प्रति शेयर की दर से खरीदा। अगर शेयर की कीमत अब 1,800 रुपये है, तो आपका मुनाफा अच्छा-खासा है, भले ही बीच में कीमतें घटी-बढ़ी थीं।
भारतीय बाज़ार में इसे कैसे लागू करें?
- SIP (सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान): यह रुपी-कॉस्ट एवरेजिंग का सबसे आसान तरीका है। आप म्युचुअल फंड में हर महीने एक निश्चित राशि निवेश करते हैं।
- ETF या इंडेक्स फंड: नए निवेशकों के लिए निफ्टी 50 या सेंसेक्स के ETF या इंडेक्स फंड में SIP शुरू करना अच्छा विकल्प है, जैसे UTI Nifty 50 इंडेक्स फंड या HDFC सेंसेक्स ETF।
- डायरेक्ट स्टॉक्स: अगर आप अनुभवी निवेशक हैं, तो स्टॉक SIP के जरिए भी यह रणनीति अपना सकते हैं। Zerodha या Groww जैसे प्लेटफॉर्म पर आप हर महीने शेयर खरीद सकते हैं।
अलग-अलग समय सीमा में लाभ
- 5 साल: छोटी अवधि में बाजार उतार-चढ़ाव का असर कम करता है। भारत में 5 साल की SIP ने औसतन 12-15% सालाना रिटर्न दिया है।
- 10 साल: डाटा बताता है कि भारतीय इक्विटी फंड्स में 10 साल की SIP ने लगभग कभी भी नकारात्मक रिटर्न नहीं दिया है।
- 15 साल: कंपाउंडिंग का जादू शुरू! 5,000 रुपये की मासिक SIP 15 सालों में 15% रिटर्न के साथ 45 लाख रुपये से अधिक बन सकती है।
- 20 साल: यहां कंपाउंडिंग पूरी ताकत दिखाती है। वही 5,000 रुपये की मासिक SIP 20 सालों में 1 करोड़ से अधिक बन सकती है!
आम गलतफहमियां और चुनौतियां
- “जब बाज़ार गिरे, तब SIP रोक देनी चाहिए”: यह सबसे बड़ी गलती है! बाज़ार के गिरने पर आपको अधिक यूनिट मिलती हैं। धैर्य रखें।
- “मेरा पैसा डूब जाएगा”: अगर आप विविधता (diversification) से निवेश करते हैं, तो लंबी अवधि में पैसा डूबने का जोखिम बहुत कम हो जाता है।
- “मुझे मार्केट टाइमिंग आती है”: कोई भी एक्सपर्ट लगातार मार्केट टाइमिंग नहीं कर पाता। रुपी-कॉस्ट एवरेजिंग इसी कारण फायदेमंद है।
अलग-अलग बजट के लिए सलाह
- छोटा बजट (1,000-3,000 रुपये/महीना): इंडेक्स फंड्स में SIP शुरू करें, जैसे UTI निफ्टी इंडेक्स फंड।
- मध्यम बजट (3,000-10,000 रुपये/महीना): 70% इक्विटी फंड और 30% डेट फंड में निवेश की रणनीति अपनाएं।
- बड़ा बजट (10,000 रुपये से अधिक): विविध एसेट क्लासेस जैसे इक्विटी, डेट, गोल्ड और रियल एस्टेट फंड में SIP करें।
अंतिम सलाह
याद रखें, निवेश में “चील की तरह नज़र और गिद्ध का धैर्य” होना चाहिए। रुपी-कॉस्ट एवरेजिंग आपके निवेश यात्रा को आसान बनाती है, और आपको मार्केट टाइमिंग की चिंता से मुक्त करती है। बस शुरू करें, नियमित रहें, और समय के साथ अपने सपनों को पूरा होते देखें। जैसा हमारे यहां कहते हैं, “बूंद-बूंद से घड़ा भरता है” – थोड़ा-थोड़ा, लेकिन लगातार निवेश करके आप भी अपने वित्तीय लक्ष्यों तक पहुंच सकते हैं।
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